Huभारत में हर साल 15 अक्टूबर को महिला किसान दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में महिलाओं के अभूतपूर्व योगदान को सम्मानित करना है। भारत में लगभग 80% ग्रामीण महिलाएं खेती से जुड़ी हैं, लेकिन उन्हें अक्सर किसान के रूप में मान्यता नहीं दी जाती। महिला किसान दिवस इस असमानता को दूर करने और महिलाओं के अधिकारों, योगदानों और स्थिति को पहचानने का प्रयास करता है।
महाराष्ट्र के अमरावती जिले की मुक्ता ठाकरे इसका एक आदर्श उदाहरण हैं, जिन्होंने ITC की Climate Smart Agriculture (CSA) तकनीकों का उपयोग कर अपनी और अपने समुदाय की महिलाओं की ज़िंदगी बदल दी है। उन्होंने उन्नत कृषि तकनीकों और वैकल्पिक आय स्रोतों का उपयोग कर अपनी आय को बढ़ाया है और सैकड़ों महिलाओं को सशक्त किया है।
*मुक्ता ठाकरे की सफलता की कहानी*
मुक्ता बताती हैं, “Climate Smart Agriculture तकनीकों जैसे कि चौड़े बेड फरो, सोया के लिए बेहतर बीज किस्में और पशुपालन, पोल्ट्री और वर्मीसेली व्यवसाय में विविधता लाने से मेरे जीवन में बड़ा बदलाव आया है। अब मैं सालाना ₹6 लाख तक कमा रही हूं, जिसमें से ₹4 लाख कृषि से और ₹2 लाख अन्य गतिविधियों से हैं। एक ‘कृषि सखी’ के रूप में, मैं 80-85 महिला किसानों को Climate Smart Agriculture प्रथाओं के माध्यम से समर्थन देती हूं, ताकि वे भी अपनी आय बढ़ा सकें।”
मुक्ता जैसी कई महिलाएं ITC की CSA पहल से लाभान्वित हो रही हैं, जिसने अब तक 1.95 लाख महिला किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण दिया है। ITC ने ‘महिला किसान फील्ड स्कूल’ और ‘महिला कृषि व्यवसाय केंद्र’ (ABC) जैसी योजनाओं के तहत महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास किया है।
*ITC की महिला सशक्तिकरण पहल*
ITC का ‘महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण कार्यक्रम’ 2,80,000 से अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक रहा है। इस कार्यक्रम ने महिलाओं को न केवल कृषि के क्षेत्र में बल्कि छोटे व्यवसायों में भी सशक्त किया है, जिससे उनके परिवारों की पोषण और शिक्षा स्तर में सुधार हुआ है।
यह कार्यक्रम महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा करता है, जिससे वे लैंगिक असमानताओं को चुनौती दे सकें और एक अधिक समान और समृद्ध समाज के निर्माण में योगदान दे सकें। अब तक, इस पहल ने 29,184 महिलाओं के जीवन को बदल दिया है और यह आठ राज्यों में सक्रिय है, जिनमें मध्य प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और असम शामिल हैं।
ITC की ये पहलें न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही हैं, बल्कि उन्हें सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रेरित कर रही हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाएं अब अपनी पहचान बना रही हैं और स्थायी विकास की दिशा में अग्रसर हो रही हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक समृद्ध और समतामूलक भविष्य का निर्माण हो रहा है।